सलमान खान की डेब्यू फिल्म 'बीवी हो तो ऐसी' को रिलीज हुए 30 साल हो गए हैं। 22 अगस्त 1988 को रिलीज हुई इस फिल्म में एक्ट्रेस बिंदू ने सलमान के साथ-साथ अपने से 3 साल बड़े फारुख शेख की मां और महज 4 साल छोटी रेखा की सास का रोल किया था। रियल लाइफ की बात करें तो बिंदू की शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी। लेकिन वे कभी मां नहीं बन सकीं। एक हादसे ने छीन लिया था बिंदू से मां बनने का सुख...
- 1977 से 1980 के बीच का दौर बिंदू के लिए दुख भरा रहा। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमने बेबी प्लान किया और मैं प्रेग्नेंट भी हुई। प्रेग्नेंसी के तीन महीने बाद मैंने काम करना बंद कर दिया। लेकिन सातवें महीने में मेरा मिसकैरेज हो गया। मैं पूरी तरह टूट गई। यह मुकद्दर की बात है। हर इंसान को हर चीज नहीं मिलती। मेरे हसबैंड भी बहुत निराश हुए। लेकिन उन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा। पांच महीने बाद मैंने दोबारा काम करना शुरू कर दिया।"
स्कूल के दिनों में शुरू हो गई थी बिंदू की लव स्टोरी
- बिंदू उस वक्त स्कूल में पढ़ाई करती थीं, जब उनकी मुलाकात बिजनेसमैन चंपक जावेरी से हुई। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "वे तारादेव (मुंबई) स्थित सोनावाला टैरेस में मेरे पड़ोसी थे। हमारे बीच पांच साल का अंतर था। मुझे उनसे आसानी से प्यार नहीं हुआ। मैंने उन्हें बहुत सताया। वे मुझसे आउटिंग का कहते थे और मैं उनसे कुछ समय लेकर वापस जवाब नहीं देती थी। मैंने कई बार ऐसा किया। जाहिरतौर पर उन्हें गुस्सा आता था, लेकिन वे कभी इसे जाहिर नहीं करते थे। मुझे अहसास हो गया था कि यह सिर्फ आकर्षण या वासना नहीं है, बल्कि वे मुझसे सच्चा प्यार करते हैं। बाद में हमें अपने परिवारों का विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन हम अड़े रहे और बाद में शादी कर ली। तब से वे मेरे साथ एक पिता की तरह रहे हैं।"
शादी के बाद शुरू हुआ असली बॉलीवुड करियर
- वैसे तो बिंदू ने पहली बॉलीवुड फिल्म 'अनपढ़' (1962) तब की थी, जब वे महज 11 साल की थीं। इस फिल्म में उन्होंने माला सिन्हा की बेटी का रोल किया था। लेकिन उनके असली बॉलीवुड करियर की शुरुआत शादी के बाद ही हो पाई थी। शादी के करीब एक साल बाद उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 'दो रास्ते' (1969) साइन की। जब वे इस फिल्म की शूटिंग कर रही थीं, तभी उनके हाथ में 'इत्तेफाक', 'डोली' और 'आया सावन झूम के' जैसी फिल्में आ गईं।
पिता चाहते थे डॉक्टर बनाना
- बिंदू ने एक बार बताया था कि मां को स्टेज पर परफॉर्म करते देख उनके मन में एक्ट्रेस बनने का ख्याल आने लगा था। लेकिन उनके पिता नानूभाई देसाई उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। बिंदू के मुताबिक, 7 बहनों और 1 भाई में वे सबसे बड़ी थीं। इसलिए जब उनके पिता बीमार पड़े तो परिवार की जिम्मेदारी उनपर आ गई। बकौल बिंदू, "पिताजी कहते थे- तुम मेरा बेटा हो।" बिंदू के मुताबिक, जब पिता का निधन हो गया तो फैमिली के सपोर्ट के लिए वे मॉडलिंग करने लगीं। वे कहती हैं, "शारीरिक बनावट के कारण 11 की उम्र में मैं 16 साल की लगती थी। जब तक मोहन कुमार की फिल्म 'अनपढ़' मुझे नहीं मिली थी, तब तक मैंने कुछ डॉक्युमेंट्रीज में भी काम किया था।"
अमिताभ बच्चन की पहली सुपरहिट ने दी मोना डार्लिंग के रूप में पहचान
- 1973 में डायरेक्टर प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' रिलीज हुई। इस फिल्म में इंस्पेक्टर विजय खन्ना का रोल कर अमिताभ बच्चन एंग्री यंगमैन के रूप में स्थापित हुए थे। यह उनके करियर की पहली सुपरहिट फिल्म भी मानी जाती है। लेकिन इस फिल्म ने बिंदू को भी नया नाम दिया था। फिल्म में उनके किरदार का नाम मोना था, जिसे के विलेन अजीत खान मोना डार्लिंग कहकर बुलाते थे। आज भी बिंदू को कई लोग इसी नाम से जानते हैं। जबकि मोना डार्लिंग बनने से पहले वे शब्बो के नाम से मशहूर थीं। यह नाम उन्हें राजेश खन्ना स्टारर 'कटी पतंग' (1971) में उनके किरदार शबनम के कारण मिला था। दरअसल, फिल्म में बिंदू का एक डायलॉग था, 'मेरा नाम है शबनम...प्यार से लोग मुझे कहते हैं शब्बो।', जिसने उन्हें शब्बो के रूप में पहचान दिलाई थी।
फिलहाल क्या कर रही हैं बिंदू
- 2008 में बिंदू को आखिरी बार पर्दे पर फिल्म 'महबूबा' में देखा गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिंदू हसबैंड चंपकलाल जावेरी के साथ पुणे के कोरेगांव पार्क में रहती हैं। वे डर्बी की मेंबर हैं और अक्सर उन्हें पुणे के रेस कोर्स में देखा जा सकता है। 2012 में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं टीवी शो में काम नहीं करना चाहती थी। इसके बजाय मैं अपनी पुरानी फिल्में देखकर और ट्रेवल करके लाइफ को एन्जॉय कर रही हूं। मेरे हसबैंड को कभी-कभी हमारे खोए हुए बच्चे की याद आ जाती है। अगर वह जिंदा होता तो आज 30 साल का हो गया होता था। मेरे हसबैंड ही मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। उनके बगैर मैं कुछ भी नहीं।"
- 1977 से 1980 के बीच का दौर बिंदू के लिए दुख भरा रहा। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमने बेबी प्लान किया और मैं प्रेग्नेंट भी हुई। प्रेग्नेंसी के तीन महीने बाद मैंने काम करना बंद कर दिया। लेकिन सातवें महीने में मेरा मिसकैरेज हो गया। मैं पूरी तरह टूट गई। यह मुकद्दर की बात है। हर इंसान को हर चीज नहीं मिलती। मेरे हसबैंड भी बहुत निराश हुए। लेकिन उन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा। पांच महीने बाद मैंने दोबारा काम करना शुरू कर दिया।"
स्कूल के दिनों में शुरू हो गई थी बिंदू की लव स्टोरी
- बिंदू उस वक्त स्कूल में पढ़ाई करती थीं, जब उनकी मुलाकात बिजनेसमैन चंपक जावेरी से हुई। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "वे तारादेव (मुंबई) स्थित सोनावाला टैरेस में मेरे पड़ोसी थे। हमारे बीच पांच साल का अंतर था। मुझे उनसे आसानी से प्यार नहीं हुआ। मैंने उन्हें बहुत सताया। वे मुझसे आउटिंग का कहते थे और मैं उनसे कुछ समय लेकर वापस जवाब नहीं देती थी। मैंने कई बार ऐसा किया। जाहिरतौर पर उन्हें गुस्सा आता था, लेकिन वे कभी इसे जाहिर नहीं करते थे। मुझे अहसास हो गया था कि यह सिर्फ आकर्षण या वासना नहीं है, बल्कि वे मुझसे सच्चा प्यार करते हैं। बाद में हमें अपने परिवारों का विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन हम अड़े रहे और बाद में शादी कर ली। तब से वे मेरे साथ एक पिता की तरह रहे हैं।"
शादी के बाद शुरू हुआ असली बॉलीवुड करियर
- वैसे तो बिंदू ने पहली बॉलीवुड फिल्म 'अनपढ़' (1962) तब की थी, जब वे महज 11 साल की थीं। इस फिल्म में उन्होंने माला सिन्हा की बेटी का रोल किया था। लेकिन उनके असली बॉलीवुड करियर की शुरुआत शादी के बाद ही हो पाई थी। शादी के करीब एक साल बाद उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 'दो रास्ते' (1969) साइन की। जब वे इस फिल्म की शूटिंग कर रही थीं, तभी उनके हाथ में 'इत्तेफाक', 'डोली' और 'आया सावन झूम के' जैसी फिल्में आ गईं।
पिता चाहते थे डॉक्टर बनाना
- बिंदू ने एक बार बताया था कि मां को स्टेज पर परफॉर्म करते देख उनके मन में एक्ट्रेस बनने का ख्याल आने लगा था। लेकिन उनके पिता नानूभाई देसाई उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। बिंदू के मुताबिक, 7 बहनों और 1 भाई में वे सबसे बड़ी थीं। इसलिए जब उनके पिता बीमार पड़े तो परिवार की जिम्मेदारी उनपर आ गई। बकौल बिंदू, "पिताजी कहते थे- तुम मेरा बेटा हो।" बिंदू के मुताबिक, जब पिता का निधन हो गया तो फैमिली के सपोर्ट के लिए वे मॉडलिंग करने लगीं। वे कहती हैं, "शारीरिक बनावट के कारण 11 की उम्र में मैं 16 साल की लगती थी। जब तक मोहन कुमार की फिल्म 'अनपढ़' मुझे नहीं मिली थी, तब तक मैंने कुछ डॉक्युमेंट्रीज में भी काम किया था।"
अमिताभ बच्चन की पहली सुपरहिट ने दी मोना डार्लिंग के रूप में पहचान
- 1973 में डायरेक्टर प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' रिलीज हुई। इस फिल्म में इंस्पेक्टर विजय खन्ना का रोल कर अमिताभ बच्चन एंग्री यंगमैन के रूप में स्थापित हुए थे। यह उनके करियर की पहली सुपरहिट फिल्म भी मानी जाती है। लेकिन इस फिल्म ने बिंदू को भी नया नाम दिया था। फिल्म में उनके किरदार का नाम मोना था, जिसे के विलेन अजीत खान मोना डार्लिंग कहकर बुलाते थे। आज भी बिंदू को कई लोग इसी नाम से जानते हैं। जबकि मोना डार्लिंग बनने से पहले वे शब्बो के नाम से मशहूर थीं। यह नाम उन्हें राजेश खन्ना स्टारर 'कटी पतंग' (1971) में उनके किरदार शबनम के कारण मिला था। दरअसल, फिल्म में बिंदू का एक डायलॉग था, 'मेरा नाम है शबनम...प्यार से लोग मुझे कहते हैं शब्बो।', जिसने उन्हें शब्बो के रूप में पहचान दिलाई थी।
फिलहाल क्या कर रही हैं बिंदू
- 2008 में बिंदू को आखिरी बार पर्दे पर फिल्म 'महबूबा' में देखा गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिंदू हसबैंड चंपकलाल जावेरी के साथ पुणे के कोरेगांव पार्क में रहती हैं। वे डर्बी की मेंबर हैं और अक्सर उन्हें पुणे के रेस कोर्स में देखा जा सकता है। 2012 में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं टीवी शो में काम नहीं करना चाहती थी। इसके बजाय मैं अपनी पुरानी फिल्में देखकर और ट्रेवल करके लाइफ को एन्जॉय कर रही हूं। मेरे हसबैंड को कभी-कभी हमारे खोए हुए बच्चे की याद आ जाती है। अगर वह जिंदा होता तो आज 30 साल का हो गया होता था। मेरे हसबैंड ही मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। उनके बगैर मैं कुछ भी नहीं।"