सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बिना हजारों लोगों की मौत हो सकती है, लेकिन लॉकडाउन के चलते देश में भुखमरी से लाखों लोगों की मौत होगी।-जस्टिस काटजू ने कहा कि सरकार को अपनी गलती मानकर लॉकडाउन को खत्म कर देना चाहिए, अन्यथा स्थित काफी गंभीर हो सकती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन को बड़ा हथियार बताया है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत समेत दुनिया के कई देशों ने लॉकडाउन कर रखा है। देश में 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं। मार्कंडेय काटजू का कहना है कि लॉकडाउन एक गलती है, इसे सरकार को वापस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बिना हजारों लोगों की मौत हो सकती है, लेकिन लॉकडाउन के चलते देश में भुखमरी से लाखों लोगों की मौत होगी। काटजू ने कहा कि लॉकडाउन के कारण असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 से 45 करोड़ लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए है। इसमें दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी कामगार जैसे लोग शामिल है। इन लोगों के पास कोई स्थायी नौकरी नहीं है। इनको रोजाना कमाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 24 मार्च को लॉकडाउन का फैसला जल्दबाजी में लिया गया था। अब इस पर विचार किया जाना चाहिए।
काटजू ने आंकड़ों को सामने रखते हुए समझाने की कोशिश की कि हर साल दुनिया में करीब 646000 लोगों की फ्लू से मौत हो जाती है। इसमें भारत में मरने वालों की भी एक बड़ी संख्या है। 2016 में मलेरिया के शिकार 20 करोड़ से अधिक लोगों में से 7 लाख लोगों की मौत हो गई। हर वर्ष 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं, जिसमें से 22 हजार लोग की मौत हो जाती है। इसमें अधिकतर बच्चे शामिल होते हैं। हर वर्ष टीबी से मरने वाले 15 लाख लोगों में अधिकतर भारतीय होते हैं। इसी तरह 38 लाख मधुमेह से मरते हैं। 2017 में कैंसर से 96 लाख लोगों की मौत हो गई।
एक रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस काटजू ने कहा कि 2018 में दुनियाभर में 82 करोड़ लोग भूखे सोए, इसमें अधिकांश लोग भारतीय थे। भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ऐसे में हम अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में भुखमरी से मौत का क्या आंकड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते लोगों की आजीविका पर संकट गहरा गया है। इसके परिणाम में खाद्य दंगे हो सकते हैं। कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। जस्टिस काटजू ने कहा कि सरकार को अपनी गलती मानकर लॉकडाउन को खत्म कर देना चाहिए, अन्यथा स्थित काफी गंभीर हो सकती है।