Bihar News: छपरा जिले के खोदाईबाग गांव में रविवार को एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद जोरदार आग लग गई. हादसे में 6 लोगों की मौत की खबर है. सूचना मिलने पर पहुंचे पुलिस-प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य किया. साथ ही दो घायलों को अस्पताल रेफर किया.   


जिले के खैरा थाना स्थित खोदाईबाग इलाके के ओलहनपुर में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री चल रही थी. रविवार दोपहर अचानक फैक्ट्री में जबरदस्त विस्फोट हुआ और इस धमाके में मकान के परखच्चे उड़ गए और बचे हिस्से में आग लग गई. घर नदी किनारे बना है जिससे बड़ा हिस्सा ढह भी गया है.


इस हादसे में खबर लिखने तक 6 लोगों के मरने की खबर है. जबकि घायलों को कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है. बताया जा रहा है कि ब्लास्ट इतनी तीव्रता के साथ हुआ कि फैक्ट्री में शायद ही कोई जिंदा बच पाया हो.  

घटना के बाद सारण के एसपी संतोष कुमार ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद इस घटना में 4 की मौत और दो लोगों के घायल होने की पुष्टि की है. उन्होंने पटाखा फैक्ट्री में हुई जबरदस्त विस्फोट की फोरेंसिक की टीम से जांच कराने की बात कही है.


आपको बता दें कि बिहार में प्रशासनिक लापरवाही की वजह से कई जिलों में ऐसी विस्फोटकों की फैक्ट्री चोरी-छुपे चल रही हैं. जो एक्सप्लोसिव रूल्स ऑफ 2008' का खुलेआम उल्लंघन करती हैं. स्थिति ये है कि बिहार सरकार के जिलों में बैठे सरकारी कर्मियों को ये बात पता है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है. उसी का परिणाम है कि छपरा जैसी घटना सामने आती है. देश में विस्फोटकों के डिस्पले, भंडारण और उत्पादन को लेकर व्यापक नियम-कानून हैं. 'एक्सप्लोसिव रूल्स ऑफ 2008' में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि पटाखों का रासायनिक यौगिक क्या होना चाहिए. 


फैक्ट्री संचालन के नियम की अनदेखी


इन नियमों में साफ किया गया है कि पटाखा फैक्ट्री के संचालन और उसे हैंडल करने के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए और किन बातों को नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन रूल्स का सही तरीके से अमल नहीं होने की वजह से धड़ल्ले से इनकी धज्जियां उड़ती देखी जा सकती हैं. छपरा की घटना में रेयाजू मियां का पक्का मकान जमीदोज हो गया है.

मामले की जांच करने के लिए मुजफ्फरनगर से एफएसएल की टीम भी पहुंच रही है. रेयाजू मियां के घर में अवैध तरीके से चल रही पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट को देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि वहां बहुत ही पावरफुल विस्फोटक तैयार किया गया था. हालांकि जांच के बाद और  खुलासा होगा. 


 क्या कहते हैं कानून


कानूनी तौर पर लाइसेंस दिए जाते समय पटाखों फैक्ट्री और दुकानों में आग से बचाव के लिए अनेक प्रकार की शर्तें लागू की जाती हैं. लेकिन जिस तरह से यह कारोबार किया जा रहा है. उससे जाहिर है कि नियमों को लागू करने की बजाए उनके उल्लंघन को ज्यादा महत्व दिया जाता है.


लाइसेंसिंग अथॉर्टीज इस तरह के उल्लंघन की ओर ध्यान देने की बजाए आंख बंद रखने रखते हैं. जिससे आस-पास के लोगों की सुरक्षा को खतरा होता है. लेकिन इन अधिकारियों को कोई फर्क नहीं  पड़ता. छपरा की घटना भयावह हो सकती थी. इससे सरकार को सबक लेना चाहिए. 


आग से बचाव की व्यवस्था जरूरी


- नियमों के मुताबिक पटाखा फैक्ट्री की पहली शर्त आग से बचाव की है. साथ ही जिस इमारत में ये काम होता है, वहां बिजली गिरने से बचाव के लिए लाइटनिंग कंडक्टर का लगा होना जरूरी है. साथ ही नियमों में तो यहां तक व्यवस्था है कि यदि बिजली चमक रही हो और बिजली गिरने की आशंका हो तो इस इमारत में ताला बंद कर के सुरक्षा की व्यवस्था किए जाने और गार्ड आदि रखा जाना जरूरी है. 


- इमारत में इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए जो आसानी से आग पकड़ती हों. निर्धारित सीमा से अधिक पटाखों को रखने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. जिसमें विस्फोट भयानक हो. पटाखों को कम्पनी की पैकिंग में ही रखा जा सकता है.  एक ही इमारत में स्टोरेज और रिपैकेजिंग करने की इजाजत नहीं होती है.