दुनिया में बढ़ती टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को आसान तो बना दिया है लेकिन इसने हमारे लिए कई तरह के खतरे पैदा कर दिए हैं. इंटरनेट पर मौजूद हैकर्स ने आम लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. ऑनलाइन दुनिया में आइडेंटिटी थेफ्ट एक प्रचलित शब्द है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शब्द का अर्थ क्या होता है? आइडेंटिटी थेफ्ट का मतलब होता है कि किसी की पर्सनल इंफॉर्मेशन को चुराना या उसके साथ फ्रॉड करना.
भारत सहित पूरी दुनिया में आइडेंटिटी थेफ्ट के मामले सामने आ रहे हैं. FBI के 2016 के डेटा के मुताबिक हर साल अकेले अमेरिका में 2.80 लाख आइडेंटिटी थेफ्ट के मामले उपभोक्ता दर्ज कराते हैं. इन आइडेंटिटी थेफ्ट के मामले के चलते कुल 1.3 अरब डॉलर का नुकसान होता है. भारत की बात करें तो साइबर क्राइम के मामलों में साल दर साल काफी इजाफा हुआ है. 2018 में 2,08,456 लाख, 2019 में 3,94,499, 2020 में 11,58,208, 2021 में 14,02,809 और 2022 के शुरुआती दो महीनों में 2,12,485 लाख साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए हैं.आइए आगे समझते हैं कि आइडेंटिटी थेफ्ट आखिर होती कैसे है और इससे बचने के क्या क्या उपाय हैं?
मालवेयर की मदद से डेटा चोरी
आइडेंटिटी थेफ्ट के सबसे ज्यादा केस किसी भी इंटरनेट यूजर को ऑफर के जरिए होते हैं. हैकर्स इंटरनेट यूजर्स को अलग अलग लुभावने ऑफर्स के जरिए क्लिक करने पर मजबूर करते हैं. यूजर्स क्लिक करके, या डाउनलोडबल कंटेंट पर क्लिक करके हैकर्स के जाल में फंस जाते हैं. हैकर्स यूजर्स को बैंकिंग, इनवेस्टमेंट और ईमेल अटैचमेंट के जरिए फंसाते हैं. आइए जानते हैं कि सबसे ज्यादा यूजर्स किस तरह के जाल में फंस जाते हैं.
- डाउनलोडिंग फाइल्स या सॉफ्टवेयर
- ईमेल अटैचमेंट या पॉप-अप्स पर क्लिक करके
- वायरस से इनफेक्टेड वेबसाइट्स पर जाकर
स्पाइवेयर से क्या करते हैं हैकर्स?
एक बार जब आप बिना सोच किसी गलत लिंक पर क्लिक कर देते हैं तो आपकी बिना जानकारी के वायरस पीसी में प्रवेश कर जाता है. ये चुपचाप आपकी इंटरनेट ब्राउसिंग की आदतें और कीस्ट्रोक्स को मॉनिटर करता है. ये वायरस आपकी सभी पर्सनल जानकारियों को जमा करता है, जिसके चलते आपके साथ क्रेडिट कार्ड फ्रॉड और आइडेंटिटी थेफ्ट जैसी घटनाएं घटती हैं.
किस डेटा पर सबसे ज्यादा खतरा!
जब आपका कंप्यूटर इंटरनेट से कनेक्ट होता है तो वायरस आपकी काफी तरह की पर्सनल इंफॉर्मेन को साइबर क्रिमिनल्स तक पहुंचा देता है. इनमें शामिल हैं. क्रेडिट कार्ड नंबर्स, बैंक अकाउंट नंबर्स, सोशल सिक्योरिटी नंबर्स, यूजरनेम्स और पासवर्ड, एड्रेस बुक और ईमेल एड्रेस.
आपके डेटा का क्या करते हैं साइबर क्रिमिनल्स
हैकर्स आपके पर्सनल कंप्यूटर से स्पाइवेयर के जरिए कई तरह की जानकारियों को चुरा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो इस इंफॉर्मेशन का आखिर करते क्या हैं? नहीं तो हम आपको बताते हैं कि हैकर्स आपके डेटा के साथ क्या करते हैं. हैकर्स सबसे पहले आपके डेटा का इस्तेमाल करके पैसा चुराते हैं और आपके नाम पर क्रेडिट कार्ड और बैंक अकाउंट खुलवाते हैं.
आपके डेटा का इस्तेमाल हैकर्स गलत गतिविधियों और अवैध रूप से होने वाले कामों के लिए होता है. इन सबसे बचने के लिए आपको पीसी पर आने वाले Pop ups, स्पैम और अवांछित मैसेज के जरिए आप उन साइट्स पर पहुंच जाते हैं, जहां आपको नहीं जाना चाहिए. जो आपके पर्सनल डेटा चोरी के लिए काफी खतरनाक हैं.
कैसे करें खुद को सुरक्षित
ऑनलाइन आइडेंटिटी थेफ्ट के लिए स्पाइवेयर का सहारा लिया जाता है. अगर एक बार ये आपके पीसी में प्रवेश कर जाता है तो इसे निकालना काफी कठिन होता है. लेकिन आप इसके जाल में नहीं फंसे, इसके लिए कुछ सावधानी बरती जा सकती है. आइए जानते हैं कि कौन सी सावधानियां हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
- अपने पर्सनल अकाउंट्स की एक्यूरेसी को लगातार चेक करते रहें और हर उस नियम का पालन करें जो आपके डेटा को सुरक्षित रखते हैं.
- संदेहास्पद वेबसाइट्स से दूरी बनाकर रखें
- सेफ ईमेल खोलने की प्रैक्टिस बनाकर रखें. अनजान लोगों की तरफ से आने वाले मेल और उसमें मौजूद अटैचमेंट को नहीं खोलें. अगर आपको किसी मेल में वायरस होने के खतरा लगता है तो तुरंत उसको स्पैम के रूप में मार्क करें
- सिर्फ उन्हीं साइट्स से डेटा को डाउनलोड करें जिन पर आपको ट्रस्ट हो. मुफ्त सॉफ्टवेयर और फाइल शेयरिंग जैसे ऐप्लीकेशन्स को इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखें.
- विंडो का लेटेस्ट वर्जन ही इस्तेमाल करें.
- पब्लिक कंप्यूटर का इस्तेमाल करने से पहले बेहद सावधानी बरतें, अक्सर वहां मौजूद वायरस डेटा में सेंध लगा देता है.
- अपने कंप्यूटर पर एंटीवायरस प्रोटेक्शन और वायरवॉल को अपडेट रखें.