पर्यटक मां-बेटे
श्रीनगर घूमने आया मुंबई का एक परिवार लॉकडाउन के चलते एक महीने से यहां फंसा हुआ है। पर्यटक मां-बेटे के लिए राहत ये है कि दोनों को पांपोर के पटल बाग इलाके में एक परिवार ने पनाह दी हुई है। मुंबई की खातीजा शेख ने बताया कि वह लोग 5 मार्च को कश्मीर घूमने आए थे। इस बीच कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई और हम यहीं फंस गए।

उन्होंने बताया कि नजीर अहमद और उनके परिवार ने उन्हें अपने घर में पनाह दी हुई है। वे लोग उनका परिवार की तरह ख्याल रख रहे हैं। किसी तरह की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्हें ऐसा लग रहा है कि जैसे वे अपने ही घर में हों।
 
वहीं खातीजा के बेटे जावेद रशीद शेख ने बताया कि कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। यहां के लोग भी काफी अच्छे और मेहमान नवाज हैं। लॉकडाउन एक अच्छा निर्णय है लेकिन इस बीच काफी लोग फंस गए हैं। उनमें हम भी शामिल हैं।
 

उन्होंने बताया कि हमारा जवाहर टनल पर भी टेस्ट हुआ और 24 मार्च से पहले भी एक टीम यहां आकार टेस्ट सैंपल लेकर गई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। वहीं नजीर अहमद के बेटे हिलाल अहमद ने बताया कि हम परिवार की तरह इनकी देखरेख कर रहे हैं।

कहा कि हमें अच्छा लग रहा है कि हम ऐसे समय में किसी के काम आ रहे हैं। हिलाल के अनुसार इन्हें एक टीम क्वारंटीन में ले जा रही थी लेकिन मेरे पिता ने उन्हें कहा कि यह घर पर ही क्वारंटीन रहेंगे और तब से करीब एक महीने से ये लोग यही हैं।

यही वह कश्मीरियत है, जिसके बारे में हम सुनते आए हैं

वहीं, एक अन्य मामले में जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में फंसी एक फिल्म निर्माता की टीम के लिए एक मुस्लिम परिवार मददगार बना। पुणे के नचिकेत गुट्टीकर अपनी टीम के साथ महाराष्ट्र से किश्तवाड़ में एक डॉक्यूमेंट्री शूट करने आए थे, लेकिन 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन होने के कारण वापस नहीं जा पाए।

इस दौरान जम्मू संभाग के डोडा जिले के घठा गांव के नजीम मलिक ने रहने के लिए छत और खाना उपलब्ध करवाया। मुस्लिम परिवार की मदद से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता ने कहा कि यही वह कश्मीरियत है, जिसके बारे में हम सुनते आए हैं।

नचिकेत अपने साथियों में शामीन कुलकर्णी और निनाद दातार के साथ 15 मार्च को एक डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग के लिए डोडा जिले में आए थे। 25 मार्च को उन्हें जम्मू से फ्लाइट लेकर वापस पुणे जाना था, लेकिन 24 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन लागू हो गया। इसके बाद नचिकेत के पास यहां रुकने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं बचा था।
 

हम खुशकिस्मत थे कि यह परिवार आया

नचिकेत गुट्टीकर ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया तो स्थिति बड़ी भयावह थी। हवाई सहित सड़क यातायात स्थगित था और सभी होटल भी बंद थे। इसके बाद हम लोग परेशानी में थे, लेकिन मलिक के परिवार ने अपने घर में रहने की पेशकश की। हम खुशकिस्मत थे कि कि यह परिवार आया और हमें रहने के लिए अपने घर की पेशकश की। उन्होंने कहा कि अब इस परिवार के साथ रहते हुए हमें कुछ हफ्ते हो गए हैं। परिवार के मित्रता वाले व्यवहार से हमें यहां अपने घर जैसा ही महसूस हो रहा है।

कहते हैं कि मुझे पूरा विश्वास है कि इस प्रकार की मेहमान-नवाजी किसी दूसरी जगह नहीं हो सकती है। यह वही कश्मीरियत है, जिसके बारे में अक्सर सुना करते थे। वहीं नजीम मलिक का परिवार खुद को खुशकिस्मत मान रहा है कि उन्हें महामारी के कारण मुश्किल में फंसे अजनबियों की मदद करने का मौका मिला।

नजीम कहते हैं कि हमने उनपर कोई एहसान नहीं किया है। कल को अगर हमारे बच्चे ऐसी ही स्थिति में फंस जाएं तो निश्चित ही कोई उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक लॉकडाउन की स्थिति है मेरे घर पर ठहरने के लिए मेहमानों का स्वागत है।