अमेरिका की मदद को भारत आया आगेसमाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इसी हफ्ते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील पर भारत 35.82 लाख हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट अमेरिका को निर्यात करने पर राजी हुआ था. इसके अलावा इस दवा को बनाने में काम आने वाली एपीआई (Active pharmaceutical ingredient) की 9 लाख मात्रा भी भारत अमेरिका को देने पर सहमत हुआ है.
आपको बता दें कि अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 20000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 5 लाख 30 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं. भारत में अमेरिका के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट किया,"कोविड -19 के खिलाफ जंग में अपने साझीदार की मदद. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट की खेप भारत से न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर पहुंच गई है."
ट्रंप ने फोन कर मांगी थी दवा
पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर कहा था कि भारत अमेरिका के ऑर्डर पर लगे प्रतिबंध को हटाए. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट निर्माता देश है. दुनिया को सप्लाई की जाने वाली 70 फीसदी ये टैबलेट भारत में बनती है. ट्रंप की अपील के बाद भारत ने 7 अप्रैल को इस दवा के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया था.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहेंकोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करेंअमेरिका की ड्रग नियामक संस्था यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेनशन ने अपनी जांच में पाया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट कोरोना के संभावित इलाज में से एक है. न्यूयॉर्क में 1500 मरीजों पर इस दवा के प्रभाव का असर किया गया है.
असर कर रहा है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीनइस बीच फ्रांस के एक नए शोध में पता चला है कि कोविड 19 के 1061 मरीजों को एंटीबायोटिक के साथ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट दिए जाने के 10 दिन के अंदर उनकी सेहत में 91.7 प्रतिशत की सुधार हुई, जबकि 15 दिनों के बाद उनकी तबियत में 96 फीसदी सुधार दर्ज किया गया.