हार्ट अटैक से कई महीने पहले या कई सप्ताह पहले हमारा शरीर हमें संकेत देने लगता है कि शरीर के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है, हमें ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन जानकारी के अभाव में हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। बस यही लापरवाही कुछ वक्त बाद हम पर भारी पड़ती है और हमें Heart Attack जैसी जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ता है...
अटैक अचानक ही होता है, फिर चाहे हार्ट का हो या ब्रेन का हो। लेकिन कई महीने या कुछ हफ्तों पहले से शरीर में कुछ ऐसे बदलाव नजर आने लगते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में दखल डालते हैं। मेडिकल की भाषा में हार्ट अटैक को एमआई कहा जाता है यानी मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Myocardial Infarction)।
-चलने पर काम करते समय छाती में हैवीनेस या भारीपन होता है। जो काम बंद करने के बाद ठीक हो जाता है। एंजायना पेन कहलाता है। यह दिल की बीमारी का एक सामान्य लक्षण होता है और ज्यादतर केसेज में देखने को मिलता है।
सांस फूलने की दिक्कत होने लगती है। जैसे आपको कुछ अचानक लगता है कि रोज तो आप दो फ्लोर या लंबी दूरी चलकर ऑफिस जाते थे लेकिन अभी तो एक मंजिल उतरते या चढ़ते ही आपकी सांस फूलने लगती हैं। अगर ऐसा लंबा समय तक हो रहा है और आपकी हेल्थ में किसी और तरह की दिक्कत नहीं है तो आपको इस समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
-कई बार लगता है खाने के बाद गले में जलन हो रही है। ऐसा दिन में जब भी आप कुछ खाते हैं उसके बाद भी महसूस हो सकता है। जबकि खाना खाने के बाद अक्सर ऐसा होता है। यह भी अचानक हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है।
-जरूरी नहीं है कि ऐसा सभी के साथ हो या फिर यह सिर्फ हार्ट अटैक का लक्षण ही हो इसकी कोई और वजह भी हो सकती है लेकिन यह हार्ट अटैक के प्रीसिंप्टम्स में भी शामिल हो सकता है।
-पोस्ट प्रैंडियल एंजाइना सीने में उठनेवाले उस तेज दर्द को कहते हैं, जो खाना खाने के बाद उठता है। यानी खाना खाने के बाद अगर आप तुरंत चलने लगते हैं तो आपको दिक्कत होने लगती है। इस दौरान सीने में जलन के साथ तेज दर्द होता है।
-इस स्थिति में जब व्यक्ति रुकता है और आराम करता है तो यह दर्द ठीक हो जाता है। अगर यह स्थिति किसी के साथ लंबे समय से बनी हुई है तो यह भी हार्ट की बीमारी का लक्षण हो सकती है।
-हार्ट की तकलीफ से जुड़े कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं। इस कारण इन लक्षणों के आधार पर बिना जांच किए यह समझ पाना मुश्किल होता है कि यह हार्ट अटैक का लक्षण है। क्योंकि ये लक्षण कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं।
- इनमें चक्कर और उल्टी आना या चक्कर के साथ उल्टी जैसा (नोजिया) महसूस होना भी हार्ट की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण पेट की बीमारी, ब्रेन से जुड़ी दिक्कत या शुगर कम होने पर भी महसूस हो सकते हैं। हार्ट वाले केस में कई बार सिर्फ चक्कर भी आ सकता है और नोजिया फील नहीं होता।
-ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को लेफ्ट हेंड यानी बाएं हाथ में दर्द रहने की समस्या होने लगती है। यह दर्द जॉ लाइन यानी जबड़े तक जाता है। जबकि कुछ लोगों में लेफ्ट और राइट दोनों हाथों में दर्द हो सकता है, साथ ही यह दर्द जॉ लाइन तक जाता है।
-आमतौर पर यह दर्द चलते वक्त या कोई काम करते वक्त महसूस होता है। लेकिन रुकने और आराम करने पर ठीक हो जाता है। ऐसे में अक्सर इसे थकान या कमजोरी के कारण होनेवाला दर्द मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। क्योंकि यह उस स्थिति में भी हो सकता है। जबकि हार्ट अटैक का लक्षण भी हो सकता है।
जब भी हम थक जाते हैं तो इसे कमजोरी की निशानी मान लेते हैं। कोई भी काम करते हुए जल्दी-जल्दी थकान होना...यानी कमजोरी आना। लेकिन कई बार यह कमजोरी हार्ट की बीमारी का लक्षण भी हो सकती है।
-हो सकता है कि हार्ट की किसी नली में सूजन या इंफेक्शन की दिक्कत हो रही हो। साथ ही यह थकान दिल के कमजोर हो जाने का लक्षण भी हो सकती है।
-आमतौर पर खांसी को मौसम बदलने के दौरान होनेवाली समस्या माना जाता है। इसके अतिरिक्त लंबे समय तक रहनेवाली खांसी टीबी का लक्षण हो सकती है। लेकिन खांसी हार्ट की बीमारी का संकेत भी होती है। यह समस्या हर व्यक्ति में हार्ट की बीमारी के लक्षण के रूप में नजर आए, यह जरूरी नहीं है।
-अगर किसी को लगातार खांसी हो रही है और हाथ-पैर में सूजन आ जाने की समस्या बनी हुई है तो इन लक्षणों को अनेदखा नहीं करना चाहिए। ये हार्ट की बीमारी के साथ ही किसी अन्य गंभीर रोग का लक्षण भी हो सकते हैं।
- बिना किसी खास कारण अचानक से तेज पसीना आना। यानी जब आपने कोई शारीरिक श्रम ना किया हो या आप तेज गर्मी से ना आए हों और अचानक से आप पसीना-पसीना हो जाते हैं तो यह भी दिल की कमजोरी का एक लक्षण हो सकता है।
-कई बार धड़कनें बहुत तेज हो जाना या बहुत धीमी हो जाना भी दिल की कमजोरी की तरफ इशारा करती है। इस दौरान कई लोगों को ऐसा अनुभव होता है, जैसे हार्ट सिकुड़ रहा है। साथ ही तेज घबराहट भी हो सकती है। अगर यह स्थिति बार-बार बन रही हो तो हल्के में ना लें।
-महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षणों में कुछ अंतर हो सकता है। ऊपर जो लक्षण बताए गए हैं, वे तो सभी में देखने को मिलते हैं लेकिन महिलाओं में कुछ अलग सिंप्टम्स भी हार्ट की समस्या की तरफ इशारा करते हैं।
-जैसे, मन खराब होना या उल्टी जैसा महसूस होना (नोजिया), गले में और सीने पर तेज जलन महसूस होना साथ में दर्द होना (हार्ट बर्न), अपच की दिक्कत होना आदि। अगर आपके साथ ये समस्याएं अक्सर होने लगी हैं तो आपको अपने डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
-जिस तरह महिलाओं और पुरुषों में हार्ट की बीमारी के कुछ लक्षण अलग होते हैं, ठीक वैसे ही सामान्य मरीजों और डायबीटीज के मरीजों में भी हार्ट कमजोर होने या आर्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग होते हैं। इनमें महिलाएं और पुरुष दोनों ही शामिल हैं।
-आमतौर पर डायबीटिक लोगों में हार्ट की बीमारी के लक्षणों में सीने का तेज दर्द नहीं होता है या दर्द बहुत हल्का होता है। इसलिए इसे सायलंट एमआई कहा जाता है। डायबीटीज के रोगी को हल्के दर्द में भी सीवियर अटैक हो सकता है और सामान्य रोगी को तेज दर्द में भी माइनर अटैक हो सकता है।
-यही वजह है कि डायबीटीज के किसी मरीज में अगर हल्का-सा भी चेस्ट पेन हुआ है तब भी उसे सामान्य रोगी की तुलना में हार्ट की बीमारी का अधिक खतरा होता है। इन लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
-स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा या फैमिली हिस्ट्री। ये कुछ ऐसे कारक हैं, जो दिल के दौरे के ज्यादातर मरीजों में देखने को मिलते हैं। इसलिए जरूरी है कि अपनी लाइफस्टाइल को सही रखा जाए।
- अगर फैमिली हिस्ट्री की बात करें तो सबसे पहले फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स के बारे में पता किया जाता है। फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स यानी आपके मम्मी-पापा या भाई-बहन। अगर इनमें से किसी को कम उम्र में हार्ट अटैक हुआ है या हार्ट की अन्य बीमारियां हुई हों तो आपको खास ध्यान देना चाहिए।
-क्योंकि जिन लोगों की फैमिली हिस्ट्री में हार्ट अटैक या हार्ट फेल्यॉर के केस होते हैं, उनके इस बीमारी की चपेट में आने की अधिक आशंका होती है। ऐसे में आपको अहतियात के तौर पर अपना रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए।